
शहर में आज गुरु पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते को समर्पित यह पर्व शहर के विभिन्न मंदिरों, आश्रमों, मठों और अखाड़ों में विशेष रूप से मनाया गया, जहां सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखने को मिली। शिष्य अपने गुरुओं से आशीर्वाद लेने के लिए अलसुबह से ही आश्रमों और मंदिरों में जुटने लगे।
फतह बालाजी मंदिर, अस्थल मंदिर, खास ओहदी मंदिर सहित शहर के कई प्रमुख धार्मिक स्थलों पर गुरु पूर्णिमा पर विशेष आयोजन किए गए। श्रद्धालुओं ने फूल-मालाओं, भोग और अन्य पूजन सामग्री के साथ गुरुओं का पूजन किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
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इस अवसर पर अस्थल मंदिर के महंत और मेवाड़ महामंडलेश्वर रासबिहारी शरण महाराज ने कहा कि गुरु के बिना जीवन में न ज्ञान संभव है, न कर्म और न ही सही मार्ग। गुरु ही वह दीपक है, जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करता है। उन्होंने कहा कि यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।
वहीं निरंजनी अखाड़े के महंत अमर गिरी महाराज ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु जीवन के हर मोड़ पर हमें सही दिशा दिखाते हैं। आज के भौतिक युग में भी अगर कोई मार्गदर्शक है तो वह गुरु ही हैं। शहर भर में इस दिन को लेकर विशेष उत्साह देखा गया। जगह-जगह भजन-कीर्तन, प्रवचन और गुरु पूजा के आयोजन हुए। शिष्यों ने गुरुओं को दक्षिणा, वस्त्र और भेंट अर्पित कर कृतज्ञता प्रकट की। पुलिस प्रशासन द्वारा भी श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए उचित व्यवस्था की गई।