उदयपुर से लगभग 60 किलोमीटर दूर झाड़ोल उपखंड क्षेत्र के चंदवास गांव में स्थित चंद्रेश्वर महादेव मंदिर एक बार फिर मानसून के दौरान पूरी तरह जलमग्न है। यह शिवालय केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि ग्रामीणों की आस्था, न्याय और परंपरा का जीवंत प्रतीक है। हर साल सावन और भादो के दौरान जब मानसी वाकल बांध का जलस्तर बढ़ता है, तो यह प्राचीन शिव मंदिर जल में डूब जाता है।
इस बार भी पिछले सप्ताह गुरुवार सुबह से बांध का पानी मंदिर परिसर में प्रवेश करने लगा और शाम होते-होते मंदिर का गर्भगृह पूरी तरह पानी में समा गया। जलस्तर बढ़ने के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई। भक्तगण जल में उतरकर महादेव के दर्शन करने पहुंचे और “हर-हर महादेव” के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया।
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चंद्रेश्वर महादेव मंदिर में मछलियां।
– फोटो : अमर उजाला
मछलियों की परिक्रमा बना आस्था का चमत्कार
इस मंदिर की एक विलक्षण विशेषता यह है कि जब मंदिर जलमग्न होता है, तब उसमें मछलियां तैरती हुई नजर आती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ये मछलियां कई बार शिवलिंग के चारों ओर घूमती हैं, जैसे परिक्रमा कर रही हों। इसे स्थानीय श्रद्धालु चमत्कारिक दृश्य मानते हैं और इसे भोलेनाथ की कृपा का प्रतीक मानते हैं।
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चंद्रेश्वर महादेव मंदिर।
– फोटो : अमर उजाला
कभी रहा सूखा क्षेत्र, अब हर साल सावन में 24 घंटे जलाभिषेक!
ग्रामीणों के अनुसार, 2005 से पहले तक यह मंदिर पूरी तरह जमीन पर स्थित था। लोग नियमित रूप से यहां पूजा-अर्चना करने आते थे। लेकिन जब मानसी वाकल बांध का निर्माण हुआ, तब यह मंदिर डूब क्षेत्र में चला गया। अब हर साल भारी बारिश के साथ यह मंदिर मानसून के दौरान जलमग्न हो जाता है और लगभग छह महीने तक जल में ही समाया रहता है। हालांकि भक्तों का मानना है कि यह डूबना नहीं, बल्कि महादेव का स्वाभाविक जलाभिषेक है। श्रद्धालु कहते हैं, “जब जल खुद आकर भगवान का अभिषेक करे, तो क्या वह डूबना कहा जाएगा…यह तो शिव की लीला है।”
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पानी में समाया शिवलिंग।
– फोटो : अमर उजाला
अब शिवरात्रि पर होंगे दर्शन!
मंदिर के पुजारी गिरधारी जोशी ने बताया कि महाशिवरात्रि के आसपास जलस्तर घटने लगता है और मंदिर में शिवलिंग के पुनः दर्शन हो पाते हैं। यह परंपरा अब वर्षों से जारी है। ग्रामीण इसे ईश्वरीय संकेत मानते हैं। भक्तों का कहना है कि महाशिवरात्रि के दिन जल खुद हट जाता है और महादेव अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।
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जल में समाए नंदी महाराज।
– फोटो : अमर उजाला
न्याय और सच्चाई का प्रतीक, सौगंध परंपरा!
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर को केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि न्याय और सच्चाई के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। मान्यता है कि अतीत में जब भी किसी गांव या परिवार में कोई विवाद होता था। चाहे वह चोरी, झूठ या पारिवारिक कलह हो। यहां दोनों पक्षों को मंदिर लाया जाता और शिवलिंग पर हाथ रखकर सौगंध दिलाई जाती है। यह परंपरा आज भी जारी है। ग्रामीणों का मानना है कि जो व्यक्ति झूठा होता है, वह शिवलिंग पर सौगंध नहीं खा सकता। और अगर खा भी ले तो महादेव स्वयं उसे दंड देते हैं। इस परंपरा के चलते चंद्रेश्वर महादेव को “सच का साक्षी शिव” भी कहा जाता है।