आरबीएसके योजना बनी जीवनदायिनी, गरीब व अनाथ मासूम को मिला नया जीवन


कोमल कड़ेलकर
मावली. (उदयपुर
)कभी-कभी समय पर उठाया गया छोटा-सा कदम किसी मासूम की पूरी जिंदगी बचा सकता है। मावली ब्लॉक की ग्राम पंचायत बांसलिया के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय रेड द्वितीय में पढऩे वाली कक्षा 3 की छात्रा भावना पुत्री लहरू भील, जो बेहद गरीब और अनाथ परिस्थिति में अपना बचपन काट रही है, लंबे समय से गंभीर एनीमिया से जूझ रही थी। कमजोरी और अस्वस्थता के कारण उसकी पढ़ाई और जीवन दोनों खतरे में थे। ऐसे में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत की गई समय पर स्क्रीङ्क्षनग, शिक्षकों की सजग भूमिका और स्वास्थ्यकर्मियों की तत्परता जीवनदायिनी साबित हुई। समय पर उपचार और सहयोग से न केवल मासूम की जान बच गई, बल्कि उसे एक बार फिर से नई उम्मीद और स्वस्थ भविष्य मिला।
विद्यालय में आरबीएसके मोबाइल हेल्थ टीम ने जब माइक्रो प्लान के तहत विद्यार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण शुरू किया तो टीम प्रभारी डॉ. विनोद शर्मा ने भावना की जीभ, आंखें और हाथ असामान्य रूप से सफेद देखे। संदेह होने पर उप स्वास्थ्य केंद्र बांसलिया की एएनएम निरमा कुमारी से हीमोग्लोबिन जांच करवाई गई। रिपोर्ट चौंकाने वाली थी, जिसमें भावना का हीमोग्लोबिन स्तर केवल 2.9 ग्राम था। यह स्थिति गंभीर एनीमिया (सीवियर एनीमिया) कहलाती है और जीवन के लिए खतरा बन सकती है।
स्थिति और भी संवेदनशील थी, कारण यह कि भावना के माता-पिता का कुछ दिन पहले ही निधन हो चुका था। ऐसे में इस मासूम का इलाज करवाना बड़ी चुनौती था। इसके बाद बीसीएमओ डॉ. मनोहर ङ्क्षसह के निर्देश पर तुरंत ही रेफरल प्रक्रिया शुरू की गई।
टीमवर्क से मिली नई सांसें
आरबीएसके टीम की एएनएम मुस्कान सोनी, सीएचओ शरद भट्ट और आशा सहयोगिनी पारस ने तत्परता से कार्रवाई की।विद्यालय के शिक्षक भूपेंद्र पाठक व अन्य स्टाफ भी तुरंत सहयोग में खड़े हो गए। छात्रा को उपजिला चिकित्सालय मावली से डॉ.एलसी चारण की ओर से राजकीय महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर रेफर किया गया। वहां बाल चिकित्सालय में संस्थाप्रधान राकेश कोठारी और आरबीएसके समन्वयक अरङ्क्षवद पेरोलिया पहले से ही सक्रिय रहे। बच्ची को में भर्ती करवाकर सभी जरूरी जांचें करवाई गई।
नन्हें विनोद की लौटी मुस्कान
ग्राम पंचायत वारणी में 2 वर्षीय विनोद पुत्र तुलसीराम मीणा का जन्म से ही कटा हुआ होंठ (क्लेफ्ट लिप) था। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लिए इस तरह की सर्जरी कराना आसान नहीं था। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ने स्क्रीङ्क्षनग के दौरान बच्चे की समस्या पहचानी और माता-पिता से संपर्क किया और उसकी निशुल्क सर्जरी करवाई गई। अब मासूम विनोद सामान्य रूप से जीवन जी रहा है। परिजनों ने सरकार और आरबीएसके टीम का आभार जताया।
अब तक 70 से अधिक निशुल्क सर्जरी
मावली ब्लॉक में आरबीएसके टीम ने पिछले 10 वर्षों में 70 से अधिक बच्चों की नि:शुल्क सर्जरी करवाई है। इनमें गंभीर बीमारियां जिसमें एनीमिया, होंठ व तालू कटे होना, हृदय में छेद, कान बहना, पैरों का मुड़ा हुआ होना आदि शामिल हैं। अक्सर ऐसे मामलों में इलाज का खर्च गरीब परिवारों के लिए पहाड़ जैसा होता है। लेकिन आरबीएसके टीम अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें योजना का लाभ दिलाती है और आरबीएसके स्कीम या चिरंजीवी योजना पैनल के तहत बच्चों की महंगी सर्जरी भी नि:शुल्क करवाई जाती है।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन से लौटी उम्मीद
भावना के शरीर में खून की कमी अत्यधिक थी। ऐसे में राकेश कोठारी व अरङ्क्षवद पेरोलिया ने ब्लड बैंक से शीघ्र रक्त की व्यवस्था करवाई और बराबर फॉलो-अप लेते रहे। समय पर ब्लड चढ़ाने से बच्ची की हालत स्थिर हुई और अब वह खतरे से बाहर है। डॉक्टरों का कहना है कि वह जल्द ही पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट सकेगी।
इनका कहना है…
राज्य सरकार एवं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्कूलों में बच्चों की नियमित स्क्रीङ्क्षनग की जाती है। इस दौरान जन्मजात विकृतियां, कुपोषण तथा अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं समय पर पहचानी जाती है और जरूरत पडऩे पर बच्चों की आगे जांच व उपचार की व्यवस्था की जाती है। यदि किसी बच्चे में कोई समस्या पाई जाती है तो विद्यालय या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सीधे ब्लॉक स्तरीय आरबीएसके टीम से संपर्क कर सकते हैं।
डॉ. मनोहर सिंह
बीसीएमओ, मावली



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