
उदयपुर जिले के खेरवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में राजस्थान का पहला कंगारू मदर केयर (केएमसी) लाउंज शुरू हो गया है, जो मातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई पहल है। यह यूनिट विशेष रूप से उन नवजातों के लिए बनाई गई है जिनका जन्म समय से पहले हुआ है या जिनका वजन 1800 से 2500 ग्राम के बीच है। इस पहल का उद्देश्य माताओं और बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना और नवजात मृत्यु दर को कम करना है।
केएमसी लाउंज की मुख्य अवधारणा मां और बच्चे को अलग न रखना है। इसके तहत त्वचा से त्वचा संपर्क द्वारा शिशुओं को मां से लगातार गर्माहट और सुरक्षा मिलती है। यह तरीका शिशुओं के लिए प्राकृतिक और सुरक्षित है, जिससे उनका वजन तेजी से बढ़ता है और स्तनपान की अवधि भी बढ़ती है। साथ ही, इससे बच्चों में हाइपोथर्मिया (शरीर का तापमान कम हो जाना) का खतरा कम हो जाता है। मां और बच्चा एक-दूसरे के करीब रहकर भावनात्मक रूप से भी जुड़ते हैं, जिससे दोनों की सेहत में सुधार होता है।
खेरवाड़ा सीएचसी में इस लाउंज की स्थापना नवंबर 2024 में शुरू हुई थी और अगस्त 2025 तक पूरी हो गई। जिला प्रशासन के निर्देशन में यह पहल खेरवाड़ा ब्लॉक में शुरू की गई है, जो स्वास्थ्य और पोषण के कई मानकों में पिछड़ा माना जाता है। इस लाउंज की मदद से गर्भवती महिलाओं की उच्च-जोखिम वाली स्थिति की पहचान गर्भधारण (एएनसी) के दौरान ही की जाएगी और समय पर उचित इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। इससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मजबूती मिलेगी। अब स्थिर, कम वजन वाले नवजात शिशुओं का इलाज खेरवाड़ा सीएचसी पर ही संभव होगा, जिससे दूर स्थित बड़े अस्पतालों में जाने की आवश्यकता कम हो जाएगी। केवल उन शिशुओं को जिला स्तरीय स्पेशल नियोनेटल केयर यूनिट (एसएनसीयू) भेजा जाएगा जिनका वजन 1800 ग्राम से कम हो या जिनकी सेहत गंभीर हो। इससे बड़े अस्पतालों पर दबाव कम होगा और गंभीर मामलों पर बेहतर ध्यान दिया जा सकेगा।
जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिया डाबी ने बताया कि यह केएमसी लाउंज पूरे उदयपुर जिले के सीएचसी और पीएचसी में मॉडल रूप में स्थापित किया जाएगा। इसका उद्देश्य न केवल मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना भी है। यह एक प्रमाणित मॉडल बन सकता है, जिसे पूरे प्रदेश में लागू किया जा सकता है।
इस लाउंज में माताओं को प्रसव के बाद अस्पताल में अधिक समय तक रुककर अपने बच्चों की बेहतर देखभाल करने का अवसर मिलेगा। इससे स्तनपान कराने और नवजात के वजन की निरंतर जांच संभव होगी। साथ ही, डॉक्टरों और नर्सों के लिए भी बेहतर कार्य वातावरण उपलब्ध होगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। उदयपुर जिला कलेक्टर नमित मेहता ने इस पहल को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित 17वें सिविल सेवा दिवस पर भी प्रस्तुत किया था, जहां इसे देशभर के अधिकारियों ने सराहा।
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खेरवाड़ा में स्थापित यह केएमसी लाउंज माताओं और नवजातों को उच्च गुणवत्ता वाली, संवेदनशील स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगा और ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक मिसाल बनेगा। यह पहल न केवल नवजात शिशुओं के जीवन को सुरक्षित बनाएगी बल्कि माताओं की सेहत और आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगी, जिससे स्वस्थ और खुशहाल परिवारों का निर्माण संभव होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सरकारी अस्पतालों की छवि में भी सुधार होगा और लोग सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर बेहतर एवं सम्मानजनक इलाज का अनुभव कर पाएंगे। यह स्वास्थ्य सेवा सुधार की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।
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