Who hired election experts to defeat the firebrand leader? | शेखावाटी में नेता-पुत्रों लॉन्चिंग की तैयारी: मंत्री को अफसर नहीं हटा पाने का दर्द, फायर ब्रांड नेता को हरवाने किसने बुलाए चुनावी एक्सपर्ट? – Jaipur News
Who hired election experts to defeat the firebrand leader? | शेखावाटी में नेता-पुत्रों लॉन्चिंग की तैयारी: मंत्री को अफसर नहीं हटा पाने का दर्द, फायर ब्रांड नेता को हरवाने किसने बुलाए चुनावी एक्सपर्ट? – Jaipur News


सत्ता में रहकर भी कई बार नेताओं को तब कुंठा होती है, जब छोटे-छोटे कामों के लिए भी मन मसोसना पड़ जाए। सरकार को कमाकर देने वाले एक महकमे के मुखिया भी एक अफसर को लेकर परेशान हैं।

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राजधानी में तैनात अफसर को मंत्री हटाने के लिए कई बार एक्सरसाइज कर चुके। लेकिन अफसर अंगद के पैर बन चुके हैं। टॉप लेवल पर भी अफसर की शिकायत कर दी है कि फलाना अफसर मेरे सामने चुनाव लड़ने वाले नेता के कहने पर काम करता है।

अब मुखिया जी को अपने ही महकमे से अफसर को नहीं हटवा पाने पर ताने अलग से सुनने को मिल रहे हैं।

शेखावाटी में नेता-पुत्रों लॉन्चिंग की तैयारी

प्रदेश में अगले विधानसभा और लोकसभा चुनावों को लेकर बहुत से नेता अभी से गुणा भाग में जुट गए हैं। सत्ताधारी पार्टी में शेखावाटी से नेता पुत्र नई पारी खेलने को तैयार हैं।

शेखावाटी के चर्चित जिले से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता के बेटे सियासत में उतरने को तैयार हैं। पिछले दिनों देश की राजधानी में हुई मुलाकातों से भी इसके संकेत मिले हैं।

शेखावाटी के चर्चित जिले की सीट से नेता पुत्र दावेदारी कर रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी को शेखावाटी इलाके में उभरते नेताओं की जरूरत भी है।

नए चेहरों पर दांव खेलने से पिछले चुनावों में कुछ फायदा भी हुआ था। जल्द कई नेता पुत्र इस इलाके में सक्रियता दिखाते नजर आ जाएंगे।

फायर ब्रांड नेता को हरवाने के लिए किसने लगाए चुनावी एक्सपर्ट?

विरोधी की चाल को पहले से ही भांप लेना और उसकी काट सोचना, सियासत में बड़ा जरूरी होता है। पिछले दिनों एक चुनावी एक्सपर्ट ने फायरब्रांड नेताजी के इलाके का 2028 और 2029 के समीकरणों के हिसाब से चुनावी आकलन किया।

चुनावी एक्सपर्ट ने यह सर्वे फायरब्रांड नेताजी के विरोधी विपक्षी पार्टी के एक बड़े नेता को दिखाया। विपक्षी पार्टी के बड़े नेता फायर ब्रांड नेता के धुर विरोधी हैं।

सुना है चुनावी एक्सपर्ट को सवालों की लंबी चौड़ी लिस्ट थमाकर फिर से सर्वे पर लगवा दिया है। फायर ब्रांड नेता को अगले चुनावों में कैसे हरवाया जाए इस पर अभी से चुनावी एक्सपर्ट को लगा दिया है। अब इतनी दूर की रणनीति हर कोई नहीं रख सकता।

किस दिग्गज को जिम्मेदार अफसर ने दिखाई हैसियत?

बड़े पदों पर बैठे लोगों को कई बार यह गुमान हो जाता है कि वे जो चाहे वो करवा लेंगे। मतलब दुनिया जैसे उन्हीं के इशारों पर घूमती है, एक बड़े पद पर बैठे दिग्गज को भी यही गलतफहमी हो गई।

दिग्गज जिस संस्था के मुखिया हैं, वहां इंटीरियर के काम का बड़ा बिल बकाया था। बिल में कुछ बाएं-दाएं मामला था इसलिए पहले भी किसी अफसर ने हाथ नहीं रखा, इसलिए मामला लंबा खिंच गया।

संस्था के दिग्गज ने एक दिन जिम्मेदार अफसर को बुलाकर नेताओं वाले अंदाज में धमकाने का प्रयास किया और कह दिया काम करना ही होगा। जिम्मेदार अफसर ने टका सा जवाब दे दिया कि साइन नहीं होंगे।

दोनों के बीच खूब गर्मागर्मी हुई। इस गर्मागर्म बहस को कुछ और लोगों ने भी सुना, जिसके बाद यह बात दीवारों से बाहर आ गई और सत्ता के गलियारों में चर्चा का मुद्दा बन गई।

सीनियर अफसर के सम्मान में क्यों नहीं खड़े हुए जूनियर?

कहते हैं सम्मान अर्जित किया जाता है, मांगने से नहीं मिलता, लेकिन सरकारी नौकरी इसका अपवाद है, यहां सम्मान पद के साथ आता है। मतलब सीनियर हैं तो जूनियर सम्मान करेंगे ही, लेकिन हर जगह जूनियर सम्मान करे इसकी भी कोई गारंटी नहीं है।

पिछले दिनों एक अफसर किसी कार्यक्रम में गए, वहां अनेक जूनियर बैठे थे। सीनियर को उम्मीद थी कि जूनियर उनके लिए कुर्सी छोड़कर सम्मान में खड़े होंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

कोई जूनियर अफसर खड़ा नहीं हुआ। सीनियर अफसर ने वहां तो कुछ नहीं कहा लेकिन इससे आहत जरूर हो गए। सीनियर अफसर ने ग्रुप में इस पीड़ा को लिखा, जिसके बाद इसके बारे में सबको पता लग गया, अब इस पर सबकी अपनी-अपनी राय है।

केंद्रीय मंत्री की शिकायत पुलिस अफसर के लिए बनी रिवॉर्ड?

सरकारी सिस्टम में बड़े अफसरों के तबादलों में सत्ताधारी नेताओं की सिफारिश नई बात नहीं है। सत्ताधारी नेता अपनी नापसंद के अफसरों को हटवाते रहते हैं और पसंद वालों को लगवाते रहते हैं।

पिछले दिनों पुलिस महकमे में हुए तबादलों के बारे में अब रह रहकर नए राज सामने आ रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान के एक जिले के पुलिस मुखिया के कामकाज को लेकर सत्ताधारी नेता और एक केंद्रीय मंत्री ने कई शिकायतें की थीं।

इसके बाद अफसर को हटना ही था। पुलिस अफसर को उस जिले से तो हटा दिया लेकिन अब जिस जिले का पुलिस मुखिया बनाया वो पहले वाले से ज्यादा बड़ा और मलाईदार है। अब गलियारों में चर्चा है कि केंद्रीय मंत्री की शिकायत कहीं रिवॉर्ड का कारण तो नहीं बन गई?

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