Special upskilling session on Blue Pottery for teachers | शिक्षकों के लिए हुए ब्लू पॉटरी पर विशेष अपस्किलिंग सेशन: भारतीय हस्तशिल्प को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में हुआ सराहनीय प्रयास, लीला बोर्डिया ने बताई परम्परा – Jaipur News
Special upskilling session on Blue Pottery for teachers | शिक्षकों के लिए हुए ब्लू पॉटरी पर विशेष अपस्किलिंग सेशन: भारतीय हस्तशिल्प को शिक्षा से जोड़ने की दिशा में हुआ सराहनीय प्रयास, लीला बोर्डिया ने बताई परम्परा – Jaipur News


नीरजा इंटरनेशनल इंक में सीबीएसई-साई की ओर से एक विशेष अपस्किलिंग सेशन का आयोजन किया गया।

जयपुर स्थित नीरजा इंटरनेशनल इंक में सीबीएसई-साई की ओर से एक विशेष अपस्किलिंग सेशन का आयोजन किया गया, जिसका फोकस रहा भारतीय पारंपरिक कला ब्लू पॉटरी पर। यह सत्र विशेष रूप से सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया, ताकि वे कक्षा 6

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कार्यक्रम की शुरुआत एक ज्ञानवर्धक सेशन से हुई, जिसमें सिटी पैलेस से संदीप सेठी ने उपस्थित शिक्षकों को हस्तशिल्प को वैकल्पिक विषय के रूप में अपनाने के लाभों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि ऐसे कौशल विद्यार्थियों को आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करते हैं और उन्हें शिक्षा के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे कौशल विद्यार्थियों को आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करते हैं और उन्हें शिक्षा के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं।

इसके पश्चात नीरजा इंटरनेशनल इंक की संस्थापक डॉ. लीला बोर्डिया ने एक इंटरएक्टिव सेशन में ब्लू पॉटरी की परंपरा, इसकी विशेषता और वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारतीय हस्तशिल्प सिर्फ कला नहीं, बल्कि एक संस्कृति की पहचान हैं। उन्होंने कहा कि अगर स्कूलों में इस विषय को गंभीरता से पढ़ाया जाए, तो हम अपने युवाओं को वैश्विक मंचों तक पहुंचा सकते हैं।

डॉ. लीला बोर्डिया ने एक इंटरएक्टिव सेशन में ब्लू पॉटरी की परंपरा, इसकी विशेषता और वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान पर प्रकाश डाला।

सत्र के दौरान शिक्षकों ने यह प्रश्न भी उठाया कि यदि ब्लू पॉटरी जैसे हस्तशिल्प सीबीएसई पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं, तो कई स्कूलों में अभी तक इन्हें लागू क्यों नहीं किया गया। इस पर विस्तार से चर्चा हुई और इन विषयों को स्कूलों में व्यवस्थित रूप से लागू करने की संभावनाएं तलाशी गईं।

कार्यक्रम का सबसे व्यावहारिक और आकर्षक भाग वह रहा, जब शिक्षकों को नीरजा इंटरनेशनल की आरएंडडी यूनिट में ले जाया गया, जहां उन्होंने ब्लू पॉटरी की निर्माण प्रक्रिया को करीब से देखा और खुद भी हैंड्स-ऑन एक्टिविटी में भाग लिया। मिट्टी की सांचे से लेकर रंग भरने तक की हर प्रक्रिया में शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

समापन सत्र में प्रश्नोत्तर का दौर चला, जिसमें इस बात पर मंथन हुआ कि किस तरह शिक्षक स्वयं प्रशिक्षक बनकर इस पारंपरिक कला को अपने-अपने विद्यालयों में पुनर्जीवित कर सकते हैं।

सभी शिक्षकों ने इस अनुभव को बेहद ज्ञानवर्धक, रोचक और व्यावहारिक बताया और आशा जताई कि भविष्य में ऐसे और भी कार्यशालाएं आयोजित होंगी जो शिक्षा और परंपरा को एक साथ जोड़ने का कार्य करेंगी।



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