
जैव विविधता और नैसर्गिक सौंदर्य से समृद्ध राजस्थान की धरती ने एक बार फिर वैज्ञानिक समुदाय में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उदयपुर जिले की झाड़ोल तहसील के ब्राह्मणों का खेरवाड़ा गांव में हाल ही में एक दुर्लभ ड्रैगनफ्लाई प्रजाति ‘Rhyothemis triangularis’ (लेसर ब्ल्यू-विंग) देखी गई है। यह पहली बार है जब इस प्रजाति को राजस्थान में दर्ज किया गया है। इस दुर्लभ ड्रैगनफ्लाई की पहचान सेवानिवृत्त वन अधिकारी और पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. सतीश कुमार शर्मा, एवं फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी से जुड़े पर्यावरणविद डॉ. अनिल सरसावन, मनोहर पवार और विनोद पालीवाल ने की।
राजस्थान बना 8वां राज्य
डॉ. शर्मा ने बताया कि यह ड्रैगनफ्लाई अपने आधे नीले और आधे सफेद रंग के पंखों, नीली-काली आभा वाले पेट और धड़ के कारण आसानी से पहचानी जा सकती है। इसी रंग के कारण इसे लेसर ब्ल्यू-विंग भी कहा जाता है। अब तक यह प्रजाति केवल भारत के सात राज्यों—असम, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, उड़ीसा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल—में पाई जाती थी। राजस्थान इस सूची में आठवां राज्य बन गया है।
ये भी पढ़ें: चिकन रेट विवाद में चाचा-भतीजे की हत्या मामले का 10वां आरोपी गिरफ्तार, अन्य की तलाश जारी
वैज्ञानिक प्रमाणिकता भी मिली
मेवाड़ क्षेत्र में इस ड्रैगनफ्लाई की उपस्थिति पर आधारित एक विस्तृत शोध पत्र भी प्रकाशित किया गया है। यह शोध “जर्नल ऑफ थ्रेटन्ड टैक्सा” के जून 2025 (वॉल्यूम 17, अंक 6) में प्रकाशित हुआ, जिससे इस खोज को वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त हुई है।
प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरणादायक खोज
विशेषज्ञों के अनुसार, यह खोज न केवल राजस्थान की जैव विविधता को वैश्विक मानचित्र पर एक नई पहचान देती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि गांव, जंगल और पारंपरिक पारिस्थितिकी तंत्र आज भी दुर्लभ और अद्भुत जीवन रूपों के लिए सुरक्षित ठिकाने बने हुए हैं।