
दूध के टैंकर में केमिकल की मिलावट की जा रही है। ये मिलावटी जहरीला दूध पहले डेयरी और वहां से आपकी रसोई तक पहुंच रहा है।
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दैनिक भास्कर ने दूध में मिलावट का खुलासा करने के लिए उदयपुर-जयपुर-दिल्ली हाईवे पर करीब एक महीने तक गैंग के टैंकर का पीछा किया तो ये तस्वीरें सामने आईं।
गैंग ने हाईवे पर बने एक होटल को मिलावट का अड्डा बना रखा था। यहां दूध से भरे टैंकर की सील को स्पेशल चाबी से खोलकर असली दूध निकालते हैं, फिर उसमें केमिकल से बना ‘मिलावटी दूध’ मिला देते हैं। यही नकली दूध पहले डेयरी और फिर आपके घरों तक पहुंच जाता है।
डरावनी बात ये है कि दूध में पानी नहीं खेतों में डालने वाले यूरिया, शैंपू, डिटर्जेंट, रिफाइंड ऑयल जैसे जहरीले केमिकल की मिलावट की जा रही है। ये केमिकल आंतों में सूजन, लिवर इन्फेक्शन, हार्ट डिजीज, मिसकैरेज और यहां तक की कैंसर की वजह बन सकते हैं।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
हाईवे पर श्रीनगर गांव के पास बने होटल श्याम संगम को गैंग ने मिलावट का अड्डा बना रखा है।
दो रिपोर्टरों ने इस खुलासे को अंजाम दिया। एक रिपोर्टर ने किशनगढ़ से 20 किलोमीटर दूर श्रीनगर गांव के पास एक होटल और दूसरे रिपोर्टर ने बगरू टोल और जयपुर से दिल्ली हाईवे पर होटल के पास दूध के टैंकरों पर नजर रखी।
करीब एक हफ्ते तक तीन अलग-अलग पॉइंट पर रेकी के दौरान भीलवाड़ा से किशनगढ़ की तरफ जाने वाले हाईवे पर श्रीनगर गांव के पास मिलावट का सुराग मिला। यहां गैंग ने होटल श्याम संगम के पीछे खाली जगह को दूध में मिलावट का अड्डा बना रखा था। होटल के पीछे झाड़ियां और पहाड़ी होने से मिलावट करते समय किसी की नजर उन पर नहीं पड़ती है। यह काम टैंकर ड्राइवर और होटल मालिक की साठगांठ से चल रहा है।
टैंकर को होटल के पीछे ले जाते हुए। जहां दूध में मिलावट की जाती है।
महज 1 लीटर केमिकल से 500 लीटर नकली दूध
गैंग के लोग पहले केमिकल से बने एक से दो हजार लीटर सिंथेटिक दूध को पिकअप वाले टैंकर RJ37GA2254 में भरकर होटल के पीछे लेकर गए। यहां मिलावटी दूध को ड्रम में भर दिया। इसके बाद डेयरी के लिए दूध सप्लाई करने वाले बड़े टैंकर GJ02 XX4769 का इंतजार करने लगे।
टैंकर के ऊपर लगी सील को स्पेशल चाबी से हटाते हुए। सील हटाने के बाद पाइप लगाकर टैंकर से असली दूध निकालकर केमिकल वाला दूध भरते हैं। नियम ये है सील से छेड़खानी नहीं की जाती।
टैंकर से असली दूध निकालकर उसमें केमिकल दूध मिक्स किया
डेयरी में दूध सप्लाई करने वाला बड़ा टैंकर GJ02 XX4769 भीलवाड़ा की तरफ से आया। टैंकर हाईवे से सीधे होटल के पीछे आकर रुका। टैंकर में करीब 20 से 25 हजार लीटर दूध भरा था। ड्राइवर और उसके साथी ने टैंकर के ऊपर लगी सील को एक स्पेशल चाबी की मदद से हटाया।
फिर एक मोटर से लगे पाइप की मदद से टैंकर से दूध पास में खड़ी एक पिकअप के अंदर रखे खाली ड्रम में भरा। करीब 2 से 4 हजार लीटर असली दूध टैंकर से निकालने के बाद उतना ही केमिकल वाला दूध टैंकर में वापस डाल दिया। इसके बाद टैंकर वहां से डेयरी में सप्लाई के लिए रवाना हो गया।
टैंकर से निकाले असली दूध को पिकअप में लोड कर ले जाते हैं। असली दूध बीएमसी (ब्लॉक मिल्क कुलर) में और लोकल में वापस बेच देते हैं। सेंटर पर गांव का दूध आता है।
असली दूध को डेयरी के बीएमसी सेंटर में बेचकर एक से दो लाख रुपए कमाते हैं
गैंग के लोग दूध से भरे टैंकर से 2 से 4 हजार लीटर असली दूध को निकालकर पिकअप में भर लेते हैं। इस दूध को लोकल डेयरी के बीएमसी ((ब्लॉक मिल्क कुलर) ) में बेचते हैं। जहां प्रति लीटर 50 रुपए के हिसाब से कमाई कर लेते हैं।
टैंकर आने के बाद एक शख्स निगरानी रखता है ताकि मिलावट के समय होटल के पीछे कोई आम शख्स नहीं आ सके।
पीछा करके पता किया- कहां जाता है मिलावटी दूध
महज 15 से 20 मिनट में केमिकल का दूध टैंकर में भरने के बाद ड्राइवर होटल से जयपुर की तरफ रवाना हो गया। अब यह पता लगाना था कि टैंकर केमिकल का दूध कौनसी डेयरी में सप्लाई करता है। टैंकर का पीछा करना शुरू कर दिया।
टैंकर ड्राइवर किशनगढ़ से जयपुर और फिर दिल्ली की तरफ जाने लगा। 350 किमी पीछा करने के बाद ड्राइवर दिल्ली से महज 50 किलोमीटर दूर हरियाणा के मानेसर में बनी दूध सागर डेयरी के पास जाकर रुका। यहां डेयरी के बाहर कुछ देर रुकने के बाद नंबर आ गया और ड्राइवर ने टैंकर को डेयरी के मैन गेट पर खड़ा कर दिया।
भास्कर टीम ने 350 किलोमीटर तक टैंकर का पीछा किया, ये जानने के लिए कि मिलावटी दूध कहां जाता है।
डेयरी के गेट पर टैंकर की सील की चेंकिंग और वजन के बाद एंट्री मिली
ये टैंकर दूध सागर डेयरी पहुंचा। मैन गेट पर गार्ड ने पहले टैंकर GJ02 XX4769 के ड्राइवर से रजिस्टर में एंट्री करने के लिए कहा। यहां ड्राइवर के डेयरी में एंट्री के लिए जरूरी कागजी कार्रवाई करते समय गार्ड टैंकर के पीछे और ऊपर चढ़कर सभी ढक्कन की सील चेक करने लगा।
टैंकर ड्राइवर ने सील इतने शातिर तरीके से वापस लगाई थी कि डेयरी के गार्ड को सील खुलने का पता ही नहीं लगा। टैंकर की चेकिंग के बाद धर्म कांटे पर टैंकर का वजन करवाया गया। इसके बाद डेयरी में दूध की सप्लाई करने के लिए टैंकर को अंदर भेज दिया गया।।
डेयरी के अधिकारियों से बचने के लिए टैंकर के जीपीएस को कार में लगा देते हैं
दूध की चोरी और मिलावट रोकने के लिए डेयरी मैनेजमेंट टैंकरों पर जीपीएस लगाकर रखता है। इस जीपीएस की मदद से अगर टैंकर ड्राइवर रास्ते में कहीं रुकता है तो डेयरी के अधिकारियों को लोकेशन से पता लग जाता है। रिपोर्टर ने भरोसे में लेकर कुछ टैंकर संचालकों से पूछा तो उन्होंने बताया कि वे इसके लिए टैंकर ड्राइवर रास्ते में ही में जीपीएस किसी कार या बाइक वाले को दे देते हैं।
इसके बाद बाइक वाला वो जीपीएस लेकर धीरे-धीरे चलता रहता है, ताकि डेयरी स्टाफ को लगे कि टैंकर हाईवे पर चल रहा है और कहीं रुका नहीं है। इस बीच टैंकर ड्राइवर होटल के पीछे दूध में मिलावट करके फिर से चलने लगते हैं। इसके बाद रास्ते में डेयरी पहुंचने से पहले बाइक वाले से जीपीएस लेकर टैंकर में लगा देते है ताकि डेयरी स्टाफ को दूध में मिलावट का पता ही नहीं लग पाए।
डेयरी के गेट पर टैंकर की सील की चेकिंग करते हुए। चेकिंग के दौरान डेयरी की टीम को किसी तरह का कोई शक नहीं हुआ।
केमिकल से ऐसा नकली दूध बनाते हैं, जो मिल्क टेस्टर भी नहीं पकड़ पाता है
पुलिस इंस्पेक्टर हेमराज मीणा का कहना है कि जयपुर ग्रामीण पुलिस की टीम ने डेयरी में केमिकल से मिलावटी दूध सप्लाई करने वाले कई टैंकर ड्राइवरों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की थी। ड्राइवर टैंकर से जितना दूध निकालते थे, उतना ही उसमें केमिकल से बना दूध डालकर डेयरी में सप्लाई करते थे। टीम ने फागी के रेनवाल मांजी गांव के पास अमूल डेयरी में दूध सप्लाई करने वाले टैंकर ड्राइवर सहित तीन आरोपियों को दूध में केमिकल मिलाने के मामले में पकड़ा था।
इंस्पेक्टर मीणा ने बताया- यूरिया और फॉर्मोलीन से नकली दूध बनाने का तरीका अब पुराना हो गया। इसमें ज्यादा मात्रा में यूरिया और फॉर्मोलीन पानी में डालना पड़ता था और मिलावटी दूध भी कम मात्रा में बन पाता था। ऐसे में अब कई नए केमिकल से दूध बनाते हैं। इन केमिकल से बने दूध को मिल्क टेस्टर लेक्टोमीटर भी नहीं पकड़ पाता है। पुलिस टीम ने बाद में सामोद के चिथवाड़ी में केमिकल बनाने वाले फैक्ट्री में भी कार्रवाई की थी।
दूध सागर डेयरी के मैनेजर प्रतीक कुमार से सीधे सवाल
सवाल : डेयरी में दूध सप्लाई करने वाला एक टैंकर ड्राइवर रास्ते में दूध में मिलावट कर रहा है? डेयरी मैनेजर : हमें इसकी जानकारी नहीं है कि आप कौनसे टैंकर की बात कर रहे हैं। आप टैंकर के नंबर बताएं फिर हम चेक करके बता सकते हैं। सवाल : भास्कर ने टैंकर ड्राइवर काे मिलावट करते हुए और फिर डेयरी में एंट्री करते ऑन कैमरा रिकॉर्ड किया है। डेयरी मैनेजर : यह संभव ही नहीं है कि डेयरी में मिलावट वाला दूध सप्लाई हो जाए। यहां टैंकर के आने के बाद पूरी चेकिंग के बाद ही एंट्री मिलती है। फिर दूध की क्वालिटी चेक होती है। अगर ऐसा है तो आप टैंकर ड्राइवर की डिटेल हमें भेजें। हम कार्रवाई करवा देंगे।
सवाल : हमारे पास पूरे प्रमाण है? टैंकर की तो सील नहीं खुल सकती, लेकिन यहां तो ओपन भी हुई और दूध भी निकला है?
डेयरी मैनेजर : ऐसा है तो हमें भेजिए। हम जांच करवाएंगे। अभी कुछ नहीं कह सकता।
डेयरी में दूध सप्लाई की चैन
- वीएलसीसी : विलेज लेवल कलेक्शन सेंटर या ग्राम स्तरीय दूध संग्रहण केंद्र में गांवों में किसानों और आम लोगों से दूध इकट्ठा किया जाता है। दूध लेते समय वसा या फैट की जांच की जाती है।
- एमसीसी और बीएमसी : किसानों से दूध लेने के बाद ड्रम में यह एमसीसी या बीएमसी में भेजा जाता है। बीएमसी (मिल्क कूलिंग सेंटर) में किसानों से खरीदने के बाद दूध को फटने से बचाने के लिए बड़े फ्रिज में रखकर ठंडा किया जाता है। बीएमसी में दूध इकट्ठा करने के बाद यहां से दूध टैंकरों में भरकर डेयरी में सप्लाई के लिए भेज दिया जाता है।
- डेयरी : बीएमसी सेंटर से डेयरी की दूरी 300 से 400 किमी या इससे भी ज्यादा होती है। टैंकर कई घंटों का सफर तय करके डेयरी तक पहुंचते हैं। इस दौरान रास्ते में ड्राइवर टैंकर से असली दूध निकालकर केमिकल का दूध मिक्स कर देते हैं।
दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी
जयपुर सीएमएचओ डॉ. रवि सिंह शेखावत ने बताया- पिछले एक साल में दूध और पनीर के 50 सैंपल लिए थे। इनमें 36 में मिलावट पाई गई। मिलावट करने वालों के खिलाफ हम तीन धाराओं में कार्रवाई करते हैं। धारा 51 में सब स्टैंडर्ड में जो सामान आता है, 52 धारा में मिस ब्रांड की शिकायतों पर, धारा 59 में अनसेफ प्रोडेक्ट या मिलावट पर कार्रवाई की जाती है।