

झालावाड़ जिले में जर्जर सरकारी स्कूल भवन के गिरने से 7 बच्चों की मौत की घटना को लेकर ‘दैनिक भास्कर’ ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से सीधी बात की। वे भरतपुर-डीग के दो दिवसीय दौरे पर थे। घटना की सूचना पर दौरा रद्द कर झालावाड़ पहुंच गए। हादसे की नैतिक जिम
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राज्य में स्कूलों की मरम्मत के लिए आपने क्या-क्या प्रयास किए? करीब 200 करोड़ की स्वीकृति जारी कर रहे हैं, बजट में इसका प्रावधान था। कई नए भवन की भी स्वीकृति दे रहे हैं, जाे पूरी तरह जर्जर हैं। इससे पहले भी लगातार स्वीकृतियां जारी की गई हैं, इसका एग्जेक्ट आंकड़ा अभी मेरे पास नहीं है, मैं भरतपुर से झालावाड़ के रास्ते में हूं।
इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी किसकी है? यह दुखद है। नैतिक जिम्मेदारी मेरी है, मैं शिक्षा मंत्री हूं, जिम्मेदारी भी मैं ही लूंगा, किसी दूसरे पर डालने का काेई मतलब ही नहीं है। विपक्ष आपका इस्तीफा मांग रहा है, क्या आप नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देंगे? इस पर निर्णय मुख्यमंत्रीजी काे करना है।
शिक्षा विभाग इसके बाद क्या बदलेगा? हम और ज्यादा सावधानी बरतेंगे। अभी भी जुलाई में निर्देश जारी किए थे कि बारिश आ रही है, जो जर्जर भवन है, जहां नुकसान हाे सकता है, गिर सकते हैं, ऐसे कमरों का उपयोग नहीं करें।
हर बार पिछली सरकार को दोष क्यों देते हैं? पिछली सरकार काे विद्यालयों की मरम्मत करानी चाहिए थी। जाे स्कूल भवन मरम्मत योग्य नहीं हैं, पूरी तरह जर्जर हैं, उनकी मरम्मत नहीं करवाकर जमींदोज कर नए बनाने चाहिए थे, यह काम उन्होंने नहीं किया।
एक दिन पहले कहा था…
एक दिन पहले कोटा में शिक्षा मंत्री ने स्कूलों की जर्जर हालत पर कहा था-यह कांग्रेस सरकार का किया हुआ पाप है, 5 साल में इन्होंने स्कूलों की सार-संभाल नहीं की।